kanchan singla

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नन्हा सा बीज

एक छोटा सा बीज था 

मिट्टी में था दब गया
फिर एक दिन हुई बरसात
उपर से मिली तपती धूप
अंकुरित हो उठा बीज
लेकर नन्ही-नन्ही कलियों का साथ
मासूम सी पंखुड़ियां थी
धीरे-धीरे बन गई एक जटिल वृक्ष
अब शाखाएं हुई बड़ी
फैली चारों ओर
लेकर रूप विशाल वृक्ष का
देती कभी फूलों का महकता सिंगार
या फलों से लाद देती खुद को
चखाने को हमको इन मीठे फलो का स्वाद।।

लेकर साथ मिट्टी, खाद, जल और घूप का
एक छोटा सा बीज बन गया एक विशाल पौधा

बिल्कुल इसी तरह जीवन चलता है
एक छोटा सा बच्चा 
लेकर परवरिश और संस्कारो का साथ
एक सच्चा इन्सान बनता है।।

देकर खुशियां औरों को
एक नव नित नए जीवन का संचार करता है
खुद भी जीता है
औरों को भी जीने का हौंसला प्रदान करता है 
इसी तरह मानुष, मानुष कहलाता है।।

एक नन्हा सा बीज हमको यही सिखलाता है
सबके साथ से ही हमारा विकास हो पाता है।।

- कंचन सिंगला ©®
लेखनी प्रतियोगिता -27-Nov-2022

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6 Comments

Khan

28-Nov-2022 09:04 PM

Wahhh👌💐👍

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Gunjan Kamal

28-Nov-2022 06:52 PM

बहुत ही सुन्दर

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Muskan khan

28-Nov-2022 04:12 PM

Nice

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